Monday, May 16, 2011

राजनीतिक चेतना की आवश्यकता

राजनीतिक चेतना की आवश्यकता

सपा के एक सम्मानीय नेता जी ने अपनी पुत्री का विवाह सहारनपुर जिले के प्रतिष्ठित परिवार में किया और कहा, ‘‘जिसने अपनी बेटी दे दी उसने सब कुछ दे दिया’’। नेता जी के लिए पुत्री-दान सर्वस्व दान के समतुल्य हो गया। गौरतलब है कि यह हमारे वही नेता जी हैं जिन्होंने निठारी जैसे विभत्स कांड के लिए कहा था, ‘‘ये सब छोटी-मोटी घटनाएँ तो होती रहती हैं’’। जिस कांड के आरोपी को प्रत्येक अदालत फांसी की सजा मुकरर कर रही है वह कांड नेता जी के लिए छोटी-मोटी घटना था। दूसरों की बच्चियों की निमर्म हत्या नेता जी के लिए अर्थहीन है और स्वयं की पुत्री का मोह उनके शब्दों के अर्थ परिवर्तित कर रहा है। क्या दोगला चरित्र नेताओं की नियती बन गया है? ये संवेदनाओं की अर्थी पर भी वोट की राजनीति करने से भी नहीं चूकते। इनकी आम जनता से अपील है कि यदि वे चुनाव जीत जाते हैं तो उपहार स्वरूप जनता के लिए बाइपास का निर्माण करायेंगे। समझ से परे है यह बात कि आम जनता के घावों पर नमक का पैर रखने वाले ये नेता किस आशा से वोट के हाथ फैलाते हैं? शायद यह हम आमजन की ही शॉर्ट टर्म मैमरी की समस्या है जो एक नासूर के दर्द को दूसरे नासूर की स्वीकृति प्रदान कर कम करने की प्रवृति के आदि हो गये हैं। आखिर कब जागेगी जनता की राजनीतिक चेतना? और कब उठेगा इनके विरूद्ध एक ठोस व सटीक कदम?

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